राम भक्ति

अन्नपूर्णा व्रत – Annapurna Vrat

अन्नपूर्णा व्रत - Annapurna Vrat | Ram Bhakti Lyrics

मां अन्नपूर्णा माता का महाव्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष पंचमी से प्रारम्भ होता है और मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी को समाप्त होता है। यह उत्तमोत्तम व्रत सत्रह दिनों तक चलने वाला व्रत है। व्रत के प्रारंभ के साथ भक्त 17 गांठों वाले धागे का धारण करते हैं। इस अति कठोर महाव्रत में व्रती 17 दिन तक अन्न का त्याग करते हैं। फलाहार भी एक ही वक्त किया जाता है।

कई भक्त इस व्रत को 21 दिन तक भी पालन करते हैं, इस मान्यता के अनुसार व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा से प्रारंभ होकर मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी को समापन होता है।

Annapurna vrat katha

मां अन्नपूर्णा माता का व्रत करने का पूजन विधि
❀ अन्नपूर्णा माता के व्रत के दिनों प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
❀ इस प्रकर से सोलह दिन तक माता अन्नपूर्णा की कथा का श्रवण करें व डोरे का पूजन करें। फिर जब सत्रहवाँ दिन आये (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी) को व्रत करनेवाला सफेद वस्त्र और स्त्री लाल वस्त्र धारण करें। रात्रि में पूजास्थल में जाकर धान के पौधों से एक कल्पवृक्ष बनाकर स्थापित करें और उस वृक्ष के नीचे भगवती अन्नपूर्णा की दिव्य मूर्ति स्थापित करें।
❀ पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
❀ खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें। धूप दीप प्रज्वलित करें।
❀ इसके साथ ही माता पार्वती और शिव जी की पूजा करें। माता पार्वती ही अन्नपूर्णा हैं।
❀ विधिवत् पूजा करने के बाद माता से प्रार्थना करें कि हमारे घर में हमेशा अन्न के भंडारे भरे रहें मां अन्नपूर्णा हमपर और पूरे परिवार एवं समस्त प्राणियों पर अपनी कृपा बनाए रखें।
❀ इन् दिनों मैं अन्न का दान करें जरूरतमंदो को भोजन करवाएं।

Annapurna vrat start date 2022 – 23

इस व्रत में अगर व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करके भी व्रत का पालन किया जा सकता है। इस व्रत में सुबह घी का दीपक जला कर माता अन्नपूर्णा की कथा पढ़ें और भोग लगाएं ।

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे ।
ज्ञान वैराग्य सिध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥
माता च पार्वति देवी पिता देवो महेश्वरः ।
बान्धवा शिव भक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥

व्रत के दिनों में आहार
व्रती को निम्न खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये- मूँग की दाल,चावल, जौ का आटा,अरवी, केला, आलू, कन्दा,मूँग दाल का हलवा । इस व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिये।

संबंधित अन्य नाममाता अन्नपूर्णा व्रत, मां अन्नपूर्णा व्रत
सुरुआत तिथिमार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी
कारणमाता अन्नपूर्णा
उत्सव विधिघर पर प्रार्थना, देवी मंदिर पर प्रार्थना, व्रत
यह भी जानें
  • अन्नपूर्णा माता व्रत कथा
  • अन्नपूर्णा आरती
  • अन्नपूर्णा चालीसा
  • अन्नपूर्णा स्तोत्रम्
  • अन्नपूर्णा जयंती
  • अन्नपूर्णा मंदिर मेरठ

Annapurna Vrat in English

The Mahavrat of Maa Annapurna Mata starts from Krishna Paksha Panchami of the month of Margshish and ends on Margshish Shukla Shashthi. This vrat is of seventeen days and many devotees observe it for 21 days as well.

मां अन्नपूर्णा माता का व्रत करने का शुभ फल

❀ इस व्रत के करने से आयु, लक्ष्मी और श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होता है।
❀ अन्नपूर्णा व्रत के प्रभाव से पुरुष को पुत्र ,पौत्रतथा धनादि का वियोग कभी नहीं होता।
❀ जिनके घर अन्नपूर्णा व्रत की कथा होती है उस घर को माता अन्नपूर्णा कभी नहीं त्यागती, गृह में सदैव माता अन्नपूर्णा का निवास रहता है।
❀ शास्त्रों में बताया गया है कि मां अन्नपूर्णा माता का व्रत करने से घर में अन्न के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं।
❀ इस व्रत को करने और माता की परिक्रमा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
❀ जो इस उत्तम व्रत को करते हैं, उनकी श्रीलक्ष्मी सदैव बनी रहती है। उनके लक्ष्मी का कभी विनाश नहीं होता।
❀ कभी अन्न का क्लेश-कष्ट नहीं होता और न उनके सन्तति का विनाश ही होता है ।

इस व्रत के समय पूर्वांचल के किसान धान की पहली फसल माता को मंदिर में चढ़ाते हैं। पूरे मंदिर प्रांगण को धान की बालियों से सजाया जाता है। फिर दूसरे दिन ये बालियां प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटी जाती हैं। इस में कोई किसी प्रकार की मनोकामना रखता है तो वो निश्चित रूप से पूर्ण होती है। व्रत रखकर मंदिर परिक्रमा करने का विधान है। इससे कल्याण होता है और बाधा दूर होती है।

संबंधित जानकारियाँ

आगे के त्यौहार(2023)

Begins: 2 December 2023 Ends: 18 December 2023

आवृत्ति

वार्षिक

समय

17 दिन

सुरुआत तिथि

मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी

समाप्ति तिथि

मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी

महीना

अक्टूबर / नवम्बर / दिसंबर

कारण

माता अन्नपूर्णा

उत्सव विधि

घर पर प्रार्थना, देवी मंदिर पर प्रार्थना, व्रत

महत्वपूर्ण जगह

पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश

पिछले त्यौहार

Ends: 29 November 2022, Begins: 13 November 2022

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