श्री गोवर्धन महाराज के भजन लिरिक्स

1. श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ लिरिक्स
श्री गोवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार, ओ धार,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
तेरे कानन कुंडल साज रहे,
तेरे कानन कुंडल साज रहे,
ठोड़ी पे हिरा लाल, ओ लाल,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
तेरे गले में कंठा सोने को,
तेरे गले में कंठा सोने को,
तेरी झांकी बनी विशाल, विशाल,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
तेरी सात कोस की परिक्रमा,
तेरी सात कोस की परिक्रमा,
और चकलेश्वर विश्राम, विश्राम,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो,
श्री गोंवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
श्री गोवर्धन महाराज महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यो ॥
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2. तू परिकर्मा कर गोवर्धन की लिरिक्स
तेरी कट जाये वाधा जीवन की,
तू कर परिक्रमा गोवर्धन की ।
श्री गोवर्धन महाराज नाथ तुम संतन हित कारी,
संतन हितकारी नाथ तुम भक्तन हितकारी ॥
श्री गिरिराज की शरण जो आवे शरण जो आवे,
चौरासी के बंद छुडावे बंद छुडावे ।
मिट जावे दी तृष्णा भटकन की,
कर परिकर्मा गोवर्धन की ॥
बांके गिरधर की बांकी झांकी,
अनुपम अद्भुत छठा यहाँ की ।
जय बोलो सभी राधा मोहन की,
कर परिकर्मा गोवर्धन की ॥
जतीपुरा में जब आवो गो,
सारा दूध जलेबी पावे गो ।
चढ़ जायेगी मस्ती कीर्तन की,
कर परिकर्मा गोवर्धन की ॥
चित्र विचत्र का मान ले कहना मान ले कहना,
धाम गोवर्धन आते रहना ।
तोपे हॉवे किरपा सब संतन की,
कर परिकर्मा गोवर्धन की ॥
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3. श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल भजन लिरिक्स
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल,
तुम बिन रह्यो न जाय हो ॥
बृजराज लडेतोलाडिले ॥
बंक चिते मुसकाय के लाल,
सुंदर वदन दिखाय ॥
लोचन तल पे मीन ज्यों लाल,
पलछिन कल्प बिहाय हो ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
सप्त स्वर बंधान सों लाल,
मोहन वेणु बजाय ॥
सुरत सुहाइ बांधिके नेक,
मधुरे मधुर स्वर गाय हो ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
रसिक रसीली बोलनी लाल,
गिरि चढि गैयां बुलाय ॥
गांग बुलाइ धूमरी नेंक,
ऊँची टेर सुनाय हो ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
दृष्टि परी जा दिवसतें लाल,
तबते रुचे नहिं आन ॥
रजनी नींद न आवही मोहे,
बिसर्यो भोजन पान हो ॥
दर्शन को यनुमा तपे लाल,
बचन सुनन को कान हो ।
मिलिवे को हीयरो तपे मेरे,
जिय के जीवन प्राण हों ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
मन अभिलाषा ह्वे रही लाल,
लगत नयन निमेष ॥
एकटक देखूं आवतो प्यारो,
नागर नटवर भेष हों ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
पूर्ण शशि मुख देख के लाल,
चित चोट्यो बाही ठोर ॥
रूप सुधारस पान के लाल,
सादर चंद्र चकोर हो ॥
लोक लाज कुल वेद की लाल,
छांड्यो सकल विवेक ॥
कमल कली रवि ज्यों बढे लाल,
क्षणु क्षणु प्रीति विशेष हो ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
मन्मथ कोटिक वारने लाल,
देखी डगमग चाल ॥
युवती जन मन फंदना लाल,
अंबुज नयन विशाल ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
यह रट लागी लाडिले लाल,
जैसे चातक मोर ॥
प्रेम नीर वर्षाय के लाल,
नवघन नंदकिशोर हो ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
कुंज भवन क्रीडा करे लाल,
सुखनिधि मदन गोपाल ॥
हम श्री वृंदावन मालती लाल,
तुम भोगी भ्रमर भूपाल हो ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल..
युग युग अविचल राखिये लाल,
यह सुख शैल निवास ॥
श्री गोवर्धनधर रूप पें,
बलजाय चतुर्भुज दास ॥
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल.

4. छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है गोवर्धन महाराज लिरिक्स
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज।
गोवर्धन महाराज, हमारे प्रभु,
गोवर्धन महाराज,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज ॥
मानसी मानसी गंगा को असनान,
धरो फिर चकलेश्वर को ध्यान,
दान घाटी में दही को दान,
करो परिक्रमा की तैयारी है,
गोवर्धन महाराज,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज ॥
इंद्र को मन मर्दन कीन्हो,
डूबत बृज को बचाय लीन्हो,
प्रकट भये है दर्शन दीन्हो,
श्री नटवर की महिमा न्यारी है,
गोवर्धन महाराज,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज ॥
भक्त जन पड़े रहे चहुँ और,
संतजन पड़े रहे चहुँ और,
देख के ध्यान धरे नित घोर,
शिखर के ऊपर नाचत मोर,
कर रहे हैं बृज की रखवारी है,
गोवर्धन महाराज,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज ॥
धन्य जो बात करें गिरिराज,
सिद्ध हो उनके बिगरे काज,
लाज भक्तन की रखे गिरिराज,
श्याम तेरे चरणन की बलिहारी है,
गोवर्धन महाराज,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज ॥
मानसी गंगा श्री हरिदेव,
गिरीवर की परिक्रमा देव,
छँटा तेरी तीन लोक से न्यारी है,
गोवर्धन महाराज ॥

5. मैं तो गोवेर्धन को जाऊ मेरी वीर लिरिक्स
मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊं मेरे वीर,
नाही माने मेरो मनवा,
मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊं मेरे वीर,
सात कोस की है परिकम्मा,
मैं तो मानसी गंगा नहाऊं मेरे वीर
नाही माने मेरो मनवा,
मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊं मेरे वीर,
सात सेर की करी रे करियां
मैं तो संतन न्यौंत जिमाऊं मेरे वीर
नाही माने मेरो मनवा,
मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊं मेरे वीर,
चन्द्रसखी भज बालकृष्ण छवि,
मैं तो हरि दर्शन को पाऊँ मेरे वीर,
नाही माने मेरो मनवा,
मैं तो गोवर्धन कूँ जाऊं मेरे वीर,