राम भक्ति

सोमवती अमावस्या – Somvati Amavasya

सोमवती अमावस्या - Somvati Amavasya | Ram Bhakti Lyrics

सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। गणित के प्रायिकता सिद्धांत के अनुसार अमावस्या वर्ष में एक अथवा दो बार ही सोमवार के दिन हो सकती है। परन्तु समय चक्र के अनुसार अमावस्या का सोमवती होना बिल्कुल अनिश्चित है।
हरिद्वार कुंभ के दौरान सोमवती अमावस्या का दिन बहुत ही पवित्र माना गया है, इस दिन नागा साधुओं द्वारा शाही स्नान भी किया जाता है।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या का एक विशेष महत्त्व है। सोमवती अमावस्या की पूजा से जुड़ी कुछ भिन्न-भिन्न मान्यताएँ हैं।
प्रथम मान्यता के अनुसार: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएँ तुलसी माता की 108 परिक्रमा लगाते हुए कोई भी वस्तु / फल दान करने का संकल्प लेतीं हैं।

सजा दो घर को गुलशन सा लिरिक्स

दूसरी मान्यता के अनुसार: सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएँ पीपल के व्रक्ष की भँवरी (108 परिक्रमा) करतीं हैं, तथा अखंड सौभाग्य की कमाननाएँ करती हैं। साथ ही साथ, श्री गौरी-गणेश एवं सोमवती व्रत कथा पाठ के साथ वस्तु अथवा फल दान करने का संकल्प लेतीं हैं। पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास माना गया है अतः इस मत के अनुसार पीपल की पूजा की जाती है।

सुरुआत तिथिसोमवार के दिन की अमावस्या
कारणस्वयं को अध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करने के लिए।
उत्सव विधिव्रत, गंगा स्नान, नदी स्नान, दान, भजन, कीर्तन।
यह भी जानें
  • सोमवती अमावस्या व्रत कथा
  • आरती: जय जय तुलसी माता
  • वट सावित्री व्रत
  • अमावस्या
  • हरिद्वार कुंभ
  • महामृत्युंजय मंत्र
  • श्री रुद्राष्टकम्
  • शिव आरती – ॐ जय शिव ओंकारा
  • सोमवती अमावस्या मेसेज

Somvati Amavasya in English

When Amavasya falls on Monday, that day is called Somavati Amavasya. According to the probability theory of mathematics, the occurrence of Amavasya on Monday can be one or two times in a year.

सोमवती अमावस्या कब है? – Somvati Amavasya Kab Hai

सोमवती अमावस्या: सोमवार, 13 नवम्बर 2023
श्रावण अमावस्या तिथि – 12 नवम्बर 2023, 2:44 PM – 13 नवम्बर 2023, 2:56 PM [दिल्ली]

संबंधित जानकारियाँ

आवृत्ति

अनियमित

समय – 1 दिन

सुरुआत तिथि – सोमवार के दिन की अमावस्या

समाप्ति तिथि – सोमवार के दिन की अमावस्या

महीना – अनियमित

कारण – स्वयं को अध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करने के लिए।

उत्सव विधि – व्रत, गंगा स्नान, नदी स्नान, दान, भजन, कीर्तन।

महत्वपूर्ण जगह – प्रयागराज, गंगा घाट, प्रवित्र नदियाँ।

पिछले त्यौहार

17 July 2023, 20 February 2023, 30 May 2022, 31 January 2022, Bhadrapada: 6 September 2021, Chaitra: 12 April 2021, 14 December 2020, 20 July 2020

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