
hirday saf kiya na tumne ram kaha se paoge
हृदय साफ किया ना अपना,
राम कहां से पाओगे।।
तन को धोया मल मल तूने
साबुन लाख लगाये रे
मन मंदिर को धोया नाहीं,
कैसे प्रभु को पाओगे.
राम कहां से पाओगे।
नाना इतर लगाया तूने,
तन को खूब सजाया रे,
मन को तूने किया ना सुंदर ,
कैसे उसे लुभाओगे।
राम कहां से पओगे ।
रत्न आभूषण तन पर डारे
खुद के गुण नित गाए रे,
राजेंद्र मुख से फिर उस प्रभु के
तुम क्या गीत सुनाओगे
राम कहां से पाओगे।
गीतकार /गायक राजेंद्र प्रसाद सोनी