राम भक्ति

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राम वनवास भजन लिरिक्स

राम वनवास भजन लिरिक्स | Ram Bhakti Lyrics

जय श्री राम भजन

राम वनवास भजन लिरिक्स

1. वनवास जा रहे है रघुवंश के दुलारे लिरिक्स

वनवास जा रहे है,

रघुवंश के दुलारे,

हारे है प्राण जिसने,

लेकिन वचन ना हारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥

जननी ऐ जन्मभूमि,

हिम्मत से काम लेना,

चौदह बरस है गम के,

इस दिल को थाम लेना,

बिछड़े तो फिर मिलेंगे,

हम अंश है तुम्हारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥

प्यारे चमन के फूलों,

तुम होंसला ना छोड़ो,

इन आंसुओ को रोको,

ममता के तार तोड़ो,

लौटेंगे दिन ख़ुशी के,

एक साथ जो गुजारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥

इसमें है दोष किसका,

उसकी यही रजा है,

होकर वही रहेगा,

किस्मत में जो लिखा है,

कब ‘पथिक’ यह करि है,

होनी किसी के टारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥

वनवास जा रहे है,

रघुवंश के दुलारे,

हारे है प्राण जिसने,

लेकिन वचन ना हारे,

वनवास जा रहे हैं,

रघुवंश के दुलारे ॥

2. चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास लिरिक्स

चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास,

मेरे राम गए वनवास, मेरे लखन गए वनवास,

चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..

आगे आगे राम चलत है,

पीछे पीछे लखन चलत है,

बीच में चलत जानकी मात मेरे राम गए वनवास,

चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..

जंगल में वो भटकते फिरते,

कंदमूल से पेट को भरते,

रोवे भरत अवध में आज मेरे राम गए वनवास,

चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..

गंगा जी के तट पर जाते,

केवट सेवर नाव मांगते,

हमको जाना परली पार मेरे राम गए वनवास,

चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..

पंचवटी पर कुटी बनाई,

रावण ने वहां सिया चुराई,

बन बन ढूंढ रहे भगवान मेरे राम गए वनवास,

चंदा छुप जा रे बादल में मेरे राम गए वनवास…..

3. जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना लिरिक्स

जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,

मात की पिता सेवा सीते तुम यही रह कर करना,

जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,

तन से जुदा हो कर हे प्रीतम आत्मा क्या रह सकती है,

बिछड़ के सांसो से दड़कन क्या इक पल भी चल सकती है,

मेरा भी कैसे स्वामी तुम बिन बाकी रह सकता है जीवन,

जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,

मात पिता सी आज्ञा मिली है,

मुझको अकेले जाने की,

कैसी कर सकता हु भूल सिये तुमको संग ले जाने की,

मुझको अकेले ही वन जाना माता पिता के तुम वचन निभाना,

जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,

पत्नी के लिए मेरे स्वामी पति की सेवा सब से बड़ी है,

पर अह्भागान की देखो किस्मत कितनी बिगड़ी पड़ी है,

यु न दुखाओ सीते तुम मन चलो हमारे संग तुम भी वन,

जाते हो वनवास पिया मुझको भी संग ले चलना,

4. जब राम चले गये वनवास भजन लिरिक्स

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गए वनवास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गए वनवास,

उन्हें मनाये घर ले आये,

दशरथ भरत सब उदास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गये वनवास,

राम राम हे राम राम,

राम राम हे राम राम।

कैकई को लगा संताप,

उन्होंने अपयश जग में लिया,

दशरथ ने तज दिए प्राण,

विधि ने ऐसा विधान किया,

भरत राजा बनकर भी,

कुछ भी न आया रास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गए वनवास,

उन्हें मनाये घर ले आये,

दशरथ भरत सब उदास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गये वनवास,

राम राम हे राम राम,

राम राम हे राम राम।

भरत ने त्यागा महल,

बना कर कुटिया में रहने लगे,

गये राम जी को मनाने,

मिलकर सभी भाई बन्धु सगे,

पर राम किसी की न माने,

सब ने छोड़ दी अब आस,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गए वनवास,

उन्हें मनाये घर ले आये,

दशरथ भरत सब उदास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गये वनवास,

राम राम हे राम राम,

राम राम हे राम राम।

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गए वनवास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गए वनवास,

उन्हें मनाये घर ले आये,

दशरथ भरत सब उदास,

छूटी आस, नगर उदास,

जब राम चले गये वनवास,

राम राम हे राम राम,

राम राम हे राम राम।

5. हे राम अयोध्या छोड़ कर वन मत जाओ लिरिक्स

सूरज जैसे ज्योति बिन, तरुवर ज्यूँ फल हीन।

राम बिना दसरथ विकल,जैसे जल बिन मीन ॥

मत जाओ, मत जाओ, मत जाओ

हे राम अयोध्या छोड़ के, वन मत जाओ

रुक जाओ, रुक जाओ,रुक जाओ

हे नाथ हमारी, विनती मत ठुकराओ

चलत राम लखी अवध अनाथा

विकल लोक सब लागे साथा

कृपा सिन्धु बहु बिधि समुझाबहि

विनय प्रेम बस पुनि फिर आपही

वन को जाने वालो पर मत, मोह जाल फैलाओ

मत जाओ,मत जाओ,मत जाओ

हे राम अयोध्या छोड़ के,वन मत जाओ

राम बिना मेरी सुनी अयोध्या, लक्ष्मण बिन ठकुराई

सीता बिन गयी मँहलों की सोभा,कौन करे चतुराई

नगर भवन गलियाँ सब रोयें,रोबे सब नर नारी

वचन विवस रोक ही नही पाती, मै ही एक बेचारी

तुम ही जीवन,प्राण हमारे

राम तुम्ही भगवान हमारे

दया सिन्धु अब बीत चलो पर

कुछ तो दया दिखाओ

रुक जाओ,रुक जाओ ,रुक जाओ

हे राम अवध को छोड़ के, वन मत जाओ

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