वृश्चिक संक्रांति – Vrishchika Sankranti

Sankranti Date: Vrishchika Sankranti: Friday, 17 November 2023 वृश्चिक संक्रांति – Vrishchika Sankranti हिंदू पंचांग के अनुसार, संक्रांति (Sankranti) का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना। भारत के कुछ हिस्सों में, प्रत्येक संक्रांति को एक महीने की शुरुआत के रूप में चिह्नित किया जाता है। दूसरी ओर, कुछ अन्य हिस्सों में, एक संक्रांति … Read more

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् (Annapoorna Stotram)

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरीनिर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१॥ नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरीमुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी ।काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥२॥ योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरीचन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥३॥ कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करीकौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी ।मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥४॥ दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरीलीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी ।श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥५॥ उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरीवेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी ।सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि … Read more

श्री लक्ष्मी चालीसा (Shri Lakshmi Chalisa)

॥ दोहा॥मातु लक्ष्मी करि कृपा,करो हृदय में वास ।मनोकामना सिद्घ करि,परुवहु मेरी आस ॥ ॥ सोरठा॥यही मोर अरदास,हाथ जोड़ विनती करुं ।सब विधि करौ सुवास,जय जननि जगदंबिका ॥ ॥ चौपाई ॥सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही ।ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी ।सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥ जय जय जगत … Read more

श्री कृष्ण चालीसा (Shri Krishna Chalisa)

॥ दोहा॥बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम ।अरुण अधर जनु बिम्बफल,नयन कमल अभिराम ॥ पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,पीताम्बर शुभ साज ।जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज ॥ ॥ चौपाई ॥जय यदुनंदन जय जगवंदन ।जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥ जय नटनागर, नाग नथइया |कृष्ण … Read more

खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa)

॥ दोहा॥श्री गुरु चरणन ध्यान धर,सुमीर सच्चिदानंद ।श्याम चालीसा भजत हूँ,रच चौपाई छंद । ॥ चौपाई ॥श्याम-श्याम भजि बारंबारा ।सहज ही हो भवसागर पारा ॥ इन सम देव न दूजा कोई ।दिन दयालु न दाता होई ॥ भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया ।कही भीम का पौत्र कहलाया ॥ यह सब कथा कही कल्पांतर ।तनिक न मानो … Read more

संतोषी माता चालीसा (Santoshi Mata Chalisa)

॥ दोहा ॥बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥ भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥ ॥ चौपाई ॥जय सन्तोषी मात अनूपम ।शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।वेश मनोहर ललित अनुपा ॥ श्‍वेताम्बर रूप मनहारी … Read more

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥ शशि ललाट मुख महाविशाला ।नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥ रूप मातु को अधिक सुहावे ।दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४ तुम संसार शक्ति लै कीना ।पालन हेतु अन्न धन दीना ॥ अन्नपूर्णा हुई जग … Read more

राधा चालीसा – जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा (Radha Chalisa – Jai Vrashbhan Kumari Shri Shyama)

॥ दोहा ॥श्री राधे वुषभानुजा,भक्तनि प्राणाधार ।वृन्दाविपिन विहारिणी,प्रानावौ बारम्बार ॥ जैसो तैसो रावरौ,कृष्ण प्रिया सुखधाम ।चरण शरण निज दीजिये,सुन्दर सुखद ललाम ॥ ॥ चौपाई ॥जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा ।कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥ नित्य विहारिणी श्याम अधर ।अमित बोध मंगल दातार ॥ रास विहारिणी रस विस्तारिन ।सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ॥ नित्य किशोरी … Read more

कुबेर चालीसा (Kuber Chalisa)

॥ दोहा ॥जैसे अटल हिमालय,और जैसे अडिग सुमेर ।ऐसे ही स्वर्ग द्वार पे,अविचल खडे कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर ।भक्त हेतु वितरण करो,धन माया के ढेर ॥ ॥ चौपाई ॥जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी ।धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।पवन वेग सम सम … Read more

(Vishwakarma Chalisa)

॥ दोहा ॥श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं,चरणकमल धरिध्यान ।श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण,दीजै दया निधान ॥ ॥ चौपाई ॥जय श्री विश्वकर्म भगवाना ।जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥ शिल्पाचार्य परम उपकारी ।भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥ अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर ।शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥ अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता ।सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता ॥ ४ ॥ … Read more