होली खेल रहे नंदलाल मथुरा की कुंज गलीन में
होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा।
और झूम रही दुनिया सारी, आज रंग बरस रहा॥
अबीर गुलाल के बादल छा रहे है।
होरी है होरी है छोर मचा रहे।
झोली भर के गुलाल कि मारी, आज रंग बरस रहा॥
देख देख सखियन के मन हर्षा रहे।
मेरे बांके बिहारी आज प्रेम बरसा रहे।
उनके संग में हैं राधा प्यारी, आज रंग बरस रहा॥
आज नंदलाला ने धूम मचाई है।
प्रेम भरी होली कि झलक दिखायी है।
रंग भर भर के मारी पिचकारी, आज रंग बरस रहा॥
अबीर गुलाल और ठसो का रंग है।
वृंदावन बरसानो झूम रह्यो संग है।
मैं बार बार जाऊं बलिहारी॥